सरकार गठन के बाद विधायकों की शपथ भी हो गई। सीएम दिल्ली भी हो आए। अब संघ मंत्रिमंडल बनाने में जुटा है। बताते हैं कि एक पूर्व संगठन मंत्री और मौजूदा संगठन मंत्री मंत्रिमंडल के चेहरों को चुन रहे हैं। एक संघ के बड़े पदाधिकारी से भी राय मशविरा किया जा रहा है। इस लिहाज से बीकानेर के दो विधायकों को मंत्री मंडल में मौका मिलने के आसार हैं। अगर ब्राह्मण को मौका मिला तो ताराचंद सारस्वत और जेठानंद व्यास में से कोई एक नाम होगा क्योंकि दोनों ही संघ के करीबी हैं। सुमित गोदारा का पलड़ा पहले से भारी है क्योंकि वे अकेले जाट वर्ग से आते हैं।
खबर ये है कि ब्राह्मण वर्ग का प्रतिनिधित्व खुद सीएम कर रहे हैं। फिर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भी इसी वर्ग से आते हैं। ऐसे में मंत्रिमंडल में ब्राहमणों को कम तवज्जो मिलेगी। फिर भी एक से दो विधायक ब्राह्मण मंत्री बनेंगे। इसमें अलवर के संजय शर्मा और कोटा के संदीप शर्मा का नाम सबसे आगे है। अलवर
के शर्मा की पैरवी एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और रहे हैं तो कोटा वाले
मौजूदा राष्ट्रीय नेता कर लोकसभा अध्यक्ष के करीबी हैं। ऐसे में अगर उन दोनों को मौका मिला तो बीकानेर के दोनों ब्राह्मण विधायकों पत्ता कट जाएगा। अगर बीकानेर से ब्राह्मण विधायक को मंत्री नहीं बनाया तो राजपूतों में से कोई मंत्री बनेगा। क्योंकि संभाग में सिर्फ दो ही राजपूत विधायक हैं इसलिए इसमें कोलायत से पहली बार चुनाव जीते युवा विधायक अंशुमान सिंह भाटी का नंबर आएगा। हालांकि सिद्धि कुमारी भी चौथी बार चुनाव जीती हैं लेकिन बीते तीन बार के कार्यकाल में उनकी विधानसभा में निष्क्रियता, पार्टी बैठकों से दूर रहना उन्हें इस पद से पीछे कर रही है। तीन बार के विधायक के तौर पर सबसे कम मौजूदगी सिद्धि की रही है। मंत्री को पूरे प्रदेश में घूमना होगा। कार्यकर्ताओं से मिलना होगा। उनकी सुननी भी होगी। ऐसे में सिद्धि की जगह अंशुमान को पार्टी इसलिए मौका देगी क्योंकि वे सबसे कम उम्र के साथ वक्ता भी अच्छे हैं। पहले ही दिन छाप छोड़ चुके हैं।
जाटों में जिले के आधार पर नाम
बीकानेर संभाग में तीन जाट विधायक चुनाव जीते हैं। भादरा से संजीव बेनीवाल, चूरू से हरलाल सहारण और बीकानेर से सुमित गोदारा। हालांकि इन तीनों में सुमित गोदारा का पलड़ा भारी है। हरलाल सहारण पहली बार विधायक बने। हालांकि वे इससे पहले जिला प्रमुख भी रहे हैं लेकिन विधानसभा का अनुभव नहीं है। सुमित लगातार दो चुनाव जीते। उनकी केन्द्रीय मंत्री भी पैरवी करेंगे। विधानसभा में सक्रिय भी रहे। संजीव बेनीवाल चुनाव तो तीसरी बार जीते लेकिन उनकी एक से दूसरी जीत में गैप काफी रहा। संजीव के लिए बड़ा मानइस प्वाइंट वसुंधरा खेमे की मोहर मानी जा रही है। सुमित पांच सालों से वसुंधरा खेमे से दूर रहे हैं। । ऐसे ऐसे में में सुमित सु के आसार मजबूत हैं। डॉ. विश्वनाथ मेघवाल मंत्री जरूर बनते लेकिन सांसद अर्जुनराम मेघवाल इसी समाज से हैं और उन्हें केन्द्रीय स्तर का नेता बनाया गया। इसलिए एक ही जिले से एक जाति से कानून मंत्री होने के बाद उसी जाति से किसी विधायक को मंत्री पद मिलना मुश्किल हो रहा है।
लोकसभा चुनाव में फायदे पर होगी नजर
मंत्रिमंडल में ऐसे नाम आएंगे जिससे जाति, क्षेत्र साधे जा सकें। बीकानेर संभाग में ब्राह्मण वर्ग से दो विधायक हैं। राजपूतों में भी दो हैं। जाटों में तीन हैं। एससी में एक है। ब्राहमण सीएम बनने के बाद राजपूतों को साधना चुनौती है। वैश्य वर्ग को भी तवज्जो चाहिए। मूल ओबीसी की खासी हिस्सेदारी चाहिए। एससी वर्ग से केन्द्र स्तर पर पद मिल चुका ऐसे में पार्टी के सामने राजपूत, वैश्य और मूल ओबीसी को साधना चुनौती है। राजेन्द्र राठौड़ चुनाव हार गए वरना बीकानेर के दोनों राजपूतों का नंबर नहीं आता लेकिन अब राजपूत विधायक सिर्फ बीकानेर से ही हैं तो ऐसे में किसी एक का चुनाव चुनौती होगा। जोधपुर से राजपूत विधायक जीते हैं लेकिन वहां केन्द्रीय स्तर के नेता गजेन्द्र सिंह शेखावत राजपूतों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
शुक्रवार 18 अक्टूबर 2024 के पंचांग के साथ देखें चौघड़िया
पंचांग तिथि:प्रतिपदा, 13:17 तक नक्षत्र:अश्विनी, 13:27 तक योग:वज्र, 21:31 तक प्रथम करण:कौवाला, 13:17 तक द्वितिय करण:तैतिल, 23:32 तक वार:शुक्रवार अतिरिक्त जानकारी सूर्योदय:06:40 सूर्यास्त:17:57 चन्द्रोदय:18:34 चन्द्रास्त:07:20 शक सम्वत:1946 क्रोधी अमान्ता महीना:आश्विन…