समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। हमारा भारत देश कृषि प्रधान देश है यहां का किसान सर्दी हो चाहे भीषण गर्मी हो या फिर ओलावृष्टि हो या अतिवृष्टि हो दिन रात हाड तोड़ मेहनत करके अन्न उपजाता है। लेकिन कभी-कभी ऐसी घटना घटित हो जाती है कि महीनों तक पसीना बहा कर तैयार की गई भूमि पुत्र की दिन-रात की मेहनत कुछ ही पलों में नष्ट हो जाती है। कभी छोटी सी चिंगारी बड़ा तांडव मचा देती है तो कभी बिजली के तार कहर बनकर पल भर में ही दिन-रात की मेहनत को आग के गोले में तब्दील कर देता है तो कभी भीषण गर्मी से फसलों में घर्षण से आग अपना रौद्र रूप धारण कर कहर बरपा रही है। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र राजस्थान में कृषि बाहुल्य श्रेणी में गिना जाता है। यहां का किसान चाहे कितनी भी कड़ाके की ठंड हो या बारिश हो चाहे आसमान से आग उगलती भीषण गर्मी हो इन सब का डटकर सामना करते हुए दिन रात खेती में जुटा रहता है। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में हर रोज हो रही फसलों तथा ढाणियों में आगजनी की घटनाओं के बीच चिंतित भूमिपुत्र दिन रात एक कर के फसलों की अंधाधुंध कटाई में जुटा नजर आ रहा है। हालांकि अभी फसलों की कटाई का सीजन चल रहा है लेकिन क्षेत्र में हो रही रोज-रोज की आगजनी की घटनाओं ने भूमि पुत्रों को चिंता में डाल रखा है। कृषि कुओं पर अभी गेहूं, चना, मेथी, इसबगोल की कटाई का कार्य जोरों पर चल रहा है किसानों का कहना है कि अब फसलों की कटाई का समय चल रहा है ऐसे में क्षेत्र में हो रही आगजनी की घटनाओं ने किसानों को चिंता में डाल रखा है किसान जैसे तैसे दिन रात मेहनत कर फसलों को समेटने में जुटे हुए हैं। इस समय किसानों को बेहद सतर्क होकर फसलों की कटाई का कार्य करना पड़ रहा है। सातलेरा गांव के किसान कालूराम मेघवाल, कमल कुमार, योगेश कुमार सारस्वत, जगदीश प्रसाद जाखड़ ने बताया कि खेतों में फसल अब पूरी सूख चुकी है किसान फसलों की कटाई में लगे हुए हैं ऐसे में खेत में रोटी बनाने के लिए चूल्हा जलाने पर भी पूरा ध्यान रखना पड़ता है एक छोटी सी लापरवाही किसानों पर भारी पड़ सकती है । किसानों की माने तो अप्रैल का महीना फसलों की कटाई का महीना होता है। किसान सुबह छ बजे से लगा कर लगातार आसमान से बरसते अंगारो के बीच शाम को सूर्यास्त के बाद तक पसीना बहाता हुआ मेहनत में लगा हुआ रहता है। कभी-कभी किसानों के सामने ऐसी परिस्थिति बन जाती है कि किसानों को रात के साए में भी फसलों की कटाई में जुटना पड़ता है। आगजनी की घटनाएं भी हर वर्ष इसी महीने में ज्यादा घटित होती है । अगर दुर्भाग्यवश किसी किसान के साथ ऐसी घटना हो जाए तो सरकारी मदद के तौर पर सिवाय आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिल पाता है ।



