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मोहनीय कर्म हैं बंधनकारी- महाश्रमण। महाश्रमणजी के सुआगमन से श्रीडूंगरगढ़ में उत्सव जैसा माहौल

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समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। तेरापंथ धर्म संघ के ग्यारहवें अनुशास्ता गणाधिपति गुरुदेव महाश्रमण जी का आज आचार्य श्री तुलसी महाप्रज्ञ साधना केन्द्र (धोलिया नोहरा) में त्रिदिवसीय शुभ पदार्पण हुआ। वे प्रातः लखासर से यहां पहुंचे। रास्ते में अनेक जगह महाश्रमण जी का स्वागत हुआ। लखासर से श्रीडूंगरगढ़ के बीच सभी जाति-समुदाय के लोगों ने आपका भावभीना स्वागत किया। सामाजिक कार्यकर्ता मोहनलाल सिंघी के फार्म हाउस पर कोई पांच सौ लोग स्वागत को जुटे। बैंड बाजों पर “म्हानै सिरियारी रो संत प्यारो-प्यारो लागै ” अटूट धुन रही। नगर प्रवेश के उपरांत महाश्रमणजी मालू भवन के सेवा केन्द्र में पधारे तथा वयोवृद्ध साध्वी वृन्द को दर्शन देकर उनकी साता पूछी।
धोलिया नोहरा का विशाल प्रांगण श्रद्धालु श्रावक-श्राविकाओं से खचाखच भर गया।
महाश्रमण जी ने अपने सम्बोधन में मोहनीय कर्मों से बचने का उपदेश किया। उन्होंने कहा श्रीडूंगरगढ़ मेरे लिए किसी तीर्थ से कम नहीं है। मुनि दीक्षा के उपरांत मैंने गुरुदेव आचार्य श्री तुलसी के पावन दर्शन यहीं किए थे। उन्होंने कहा कि दुनिया में कभी कभी युद्ध जैसी स्थिति बन जाती है, यह युद्ध कभी परिग्रह के लिए तो कभी न्याय पाने के लिए होता रहा है। शास्त्रों ने भी युद्ध के लिए कहा है। पर शास्त्र स्वयं के साथ युद्ध करने को प्रेरित करते हैं। एक व्यक्ति भले ही अपनी युक्ति और बाहुबल से लाख लोगों को जीत ले, लेकिन जब तक अपनी आत्मा को नहीं जीत लेता, उसकी जीत कोई अधिक मायने नहीं रखती। अध्यात्म के अर्थों में आत्मा शुद्ध स्वरूप है, किन्तु कर्मो के आवरण के कारण उसकी शुद्धता दृष्टि गोचर नहीं होती। राग-द्वेष, मोह, माया, लोभ जैसे मोहनीय कर्म जब तक बांधे रखते हैं, तब तक जीव असिद्ध, अशुद्ध तथा अबुद्ध बना रहता है। आवरण अज्ञान का है और ज्ञान से अनावृत किया जा सकता है। मोहनीय कर्मों को मिटाने का संघर्ष करना है। शुद्धता और बुद्धता की स्थिति हमारा लक्ष्य रहना चाहिए।
प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष जतन पारख ने महाश्रमण जी का अभिनंदन करते हुए कहा कि विगत 34 वर्षों से यहां चतुर्मास नहीं हुआ है, फरमा कर श्रावक समाज पर कृपा करावें। यही निवेदन विजयराज सेठिया तथा जैन विश्व भारती विश्व विद्यालय के वाइस चांसलर डाॅ बच्छराज दूगड़ ने भी किया। भीकमचंद पुगलिया ने आचार्य श्री तुलसी महाप्रज्ञ साधना केन्द्र की उपादेयता बताते हुए कहा कि हमें कोई विशेष सेवा सौंपी जावे। टी टी एफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन पारख ने कहा कि हमें भी एक सुखद अनुभूति मिले, इसलिए आपके सुदीर्घ प्रवास का अवसर मिले।
आज प्रातः से ही भीखमचंद पुगलिया ( कलकत्ता) जतन पारख, विजयराज सेठिया, मोहनलाल सिंघी, तुलसीराम चौरड़िया, भीकमचंद पुगलिया ( जयपुर) पन्ना लाल पुगलिया, सोहनलाल सिंघी, मालचंद सिंघी, हनुमान बरड़िया, निर्मल बोथरा, मोहनलाल सेठिया, महावीर माली, सुशील सेरड़िया, डाॅ चेतन स्वामी, डाॅ मदन सैनी, बजरंग शर्मा, रामचंद्र राठी,बजरंग सोमानी महाश्रमण जी के स्वागत कार्यक्रम में जुटे हुए रहे। किशोर मंडल तथा महिला मंडल की ओर से सुन्दर गीतिका की प्रस्तुति हुई।

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