समाचार-गढ़, श्रीडूंगरगढ़। कुँवारी युवतियों द्वारा मनवांछित वर की आस में गणगौर माता की 16दिनों तक बड़े तन्मयता और उल्लास के साथ पूजा आराधना की जाती है। परंपरागत तरीके से युवतियां होलिका दहन के दूसरे दिन सुबह से ही राजस्थान में होने वाले फौग के फुलड़े लाकर गौरमाता की पूजा करती है। इस दौरान युवतियां गौर ए गणगौर माता खोल ए किवाड़ी जैसे गीतों को समूहबद्ध तरीके से गाकर माता को प्रसन्न करती है। कस्बे सहित पूरे क्षेत्र में गणगौर की पूजा बड़ी धूमधाम से की जाती है। कस्बे की युवती अनु सैन ने बताया कि हम सभी मोहल्ले की लड़कियां एक घर में गौरमाता और ईशर की पूजा करती है। सुबह और शाम दोनों वक्त पूजा करने के साथ उन्हें मिठाई, चॉकलेट या घर पर बनी कोई मीठी वस्तु का भोग लगाकर गीत गाती हैं। इस दौरान जिनका विवाह पिछले वर्ष में हो गया था उनका अजुणा भी करते हैं। माता गणगौर को फुलड़ों से पारंपरिक रूप से पूजा जाता है। मान्यता है कि गणगौर की पूजा से मनवांछित वर की प्राप्ति होती है। इस दौरान निशा, मोनू, राधा, सपना, राधिका, जिया, नीतू, रितु, दिव्या, जसोदा, गंगा, जयश्री, भाविका, अनु, प्रीति, चांदनी सहित लगभग 17लड़कियां एक साथ पूजा कर रही हैं। शादी के बाद हम सभी भी अजुणा करने हमारे पीहर आएंगी।

