
समाचार गढ़ 11 मई 2025 मेहरादासी गांव आज उस बेटे को विदाई दे रहा था जिसने देश की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। शहीद सुरेंद्र कुमार मोगा की राजकीय सम्मान के साथ अंतिम यात्रा उनके पैतृक गांव में निकाली गई। सात वर्षीय बेटे दक्ष ने कांपते हाथों से अपने शहीद पिता को मुखाग्नि दी। पूरे गांव में ‘शहीद सुरेंद्र मोगा अमर रहे’ के गगनभेदी नारे गूंज उठे।
लेकिन इस शोक की घड़ी में देश को गर्व और उम्मीद की किरण भी मिली — जब शहीद की 11 वर्षीय बेटी वर्तिका का साहसिक बयान सामने आया। वर्तिका ने कहा,
“मैं बड़ी होकर फौज में जाऊंगी, पापा की मौत का बदला लूंगी। चुन-चुनकर आतंकियों का खात्मा करूंगी। पाकिस्तान का नाम तक मिटा दूंगी। मुझे गर्व है कि मेरे पापा देश के लिए शहीद हुए।”
वर्तिका ने बताया कि आखिरी बार उनकी अपने पिता से रात 9 बजे बात हुई थी। उन्होंने पापा को बताया था कि यहां ड्रोन उड़ रहे हैं लेकिन कोई हमला नहीं हो रहा।
“पापा ने हम सबकी सुरक्षा की और खुद देश के लिए बलिदान दे दिया। मेरे पापा बहुत अच्छे थे।”
शहीद सुरेंद्र मोगा की शहादत ने जहां पूरे गांव को गमगीन किया, वहीं उनकी बेटी वर्तिका के साहस ने पूरे देश की आंखें नम कर दीं, लेकिन सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।