Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
HomeFrontप्रसिद्ध लेखक, साहित्यकार, पत्रकार डॉ. चेतन स्वामी की कलम से मोमासर में...

प्रसिद्ध लेखक, साहित्यकार, पत्रकार डॉ. चेतन स्वामी की कलम से मोमासर में सोख्ता गड्ढा का अभिनव प्रयोग

Samachargarh AD
Samachargarh AD

समाचार- गढ़, श्रीडूंगरगढ़। पर्यावरण संरक्षण और जल संचयन आधुनिक युग की दो बड़ी चुनौतियां हैं। इनके प्रति जो आबादी समय रहते सजग नहीं हो रही है, वह अवहेलना अगली पीढ़ियों के लिए अत्यधिक दुखदाई रहेगी।
मोमासर की ऊंची-नीची, टेढी-मेढी गलियों में घरों से बहकर बाहर गली में फैलने वाले पानी की वजह से जगह-जगह कीचड़ स्थल बने हुए थे। पैदल आदमी बड़ी मशक्कत के बाद ही गली पार कर पाता। मोमासर ऐसा गांव है, जहां हर घर में सरकारी पानी की उपलब्धता है। जल उपभोग में मितव्ययता का सेंस पचास वर्ष पहले था। वर्तमान पीढ़ी गाफिल है। इस गाफिलपन ने हमें मलेरिया, डेंगू, एलर्जी जैसी अनेक बीमारियां प्रदान की है। मच्छरों के संरक्षण-संवर्धन में कीकर और कीचड़ की बड़ी भूमिका रहती है। इसे जानता तो अनपढ़ से अनपढ़ व्यक्ति है, पर उन्मूलन की सूझ मोमासर को आई। दो वर्ष पहले मोमासर को कीकर मुक्त किया गया तथा इसके लिए एक स्थाई व्यवस्था करदी गई है। कीचड़ को रोकने के लिए यहां गांव की समस्त गलियों में घरों के आगे वैज्ञानिक तरीके से लगभग 1000 सोख्ता गड्ढों का निर्माण किया गया है। गलियों में फैलनेवाला वह ड्रेन वाटर अब उन बंद गड्ढों में चला जाता है। अब गलियां साफसुथरी रहने लगी है। मच्छरों पर रोक लगी है। गांव की सुन्दरता बढ़ गई। सबसे बड़ी बात है कि इन गड्ढों द्वारा शोषित जल से भूगत जल स्तर में वृद्धि होगी। जल संवर्धन और पुनर्भरण की इस तकनीक का प्रयोग बहुत ही उत्तम है। सिस्टम से बना एक सोख्ता गड्ढा दस वर्षों तक निर्बाध कार्य करता है तथा प्रति दिन प्रत्येक गड्ढे की जल चोसण क्षमता 500 लीटर जल की होती है। गलियों में जल अधिक बहने से मकानों की दीवारों में रहनेवाली नमी से भी छुटकारा मिलेगा। मोमासर में सोख्ता गड्ढों का कार्य पंचायत समिति के माध्यम से किया गया है। यहां के सरपंच पति श्री जुगराज संचेती गांव के विकास हेतु अहर्निश लगे रहते हैं। उनकी लगन नमनीय और प्रेरणीय है। गांव के प्रति उनके समर्पण को बताने के लिए एक अलग लेख की आवश्यकता रहेगी। अब गांवों को आगामी जीवन के लिए भूमि, जल, पर्यावरण जैसे विषयों के बारे में गंभीरता से सोचना होगा, शहर तो सडांध के पर्याय बन ही चुके हैं।

Samachargarh AD
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!