
जटायु संरक्षण स्थल : श्रीडूंगरगढ़ में गिद्धों की घटती संख्या को देख संस्था ने उठाया बड़ा कदम
— समाचार गढ़, 24 मई 2025
श्रीडूंगरगढ़ की धरती पर एक बार फिर पर्यावरण संरक्षण की अनूठी मिसाल पेश की गई है। dwindling vultures यानी घटती गिद्धों की संख्या को लेकर जहां देशभर में चिंता जताई जा रही है, वहीं स्थानीय सामाजिक संस्था “आपणो गांव श्रीडूंगरगढ़ सेवा समिति” ने इस दिशा में ठोस पहल की है।
संस्था ने वन विभाग को एक विस्तृत प्रस्ताव सौंपते हुए श्रीडूंगरगढ़-कालू रोड की वन भूमि पर एक विशेष गिद्ध संरक्षण क्षेत्र और गिद्ध रेस्टोरेंट स्थापित करने की मांग की है। इस प्रस्ताव में तारबंदी, जल स्रोतों की उपलब्धता, मृत पशुओं की नियमित आपूर्ति, सुरक्षाकर्मी तैनाती और श्वान प्रतिबंध जैसी कई व्यवस्थाएं शामिल हैं — जो गिद्धों के लिए एक सुरक्षित और अनुकूल आवास सुनिश्चित करेंगी।
संस्था की इस पहल की गूंज वन विभाग तक पहुंची और सहायक वन संरक्षक सत्यपाल सिंह ने स्वयं मौके का निरीक्षण कर गिद्धों की मौजूदा स्थिति और क्षेत्र की संभावनाओं का जायज़ा लिया। उन्होंने संस्था के सदस्यों से मिलकर संरचना के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की।
सेवा समिति की ओर से बताया गया कि प्रस्तावित रेस्टोरेंट में गिद्धों को केवल डाइक्लोफेनाक-रहित मृत पशु उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि उनके स्वास्थ्य को कोई खतरा न हो। संस्था के प्रवक्ता मदन सोनी का कहना है कि यदि यह परियोजना साकार होती है, तो यह राजस्थान के लिए वन्यजीव संरक्षण का आदर्श मॉडल बन सकती है।
वहीं, समिति के वरिष्ठ सदस्य सत्यनारायण टाक ने सुझाव दिया कि इस स्थल को ‘जटायु संरक्षण स्थल’ नाम दिया जाए, जिससे न केवल गिद्धों को सांस्कृतिक मान्यता मिल सके, बल्कि जनमानस में इनके प्रति संवेदनशीलता भी बढ़े।
संस्था ने वन विभाग से इस प्रस्ताव को शीघ्र सैद्धांतिक स्वीकृति देने का आग्रह किया है। यह पहल न केवल गिद्धों की रक्षा की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है, बल्कि श्रीडूंगरगढ़ को एक पर्यावरणीय मॉडल क्षेत्र के रूप में भी स्थापित कर सकती है।