पुजारियों के विलोपित नामों को पुनः राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने का मुद्दा विधायक महिया ने उठाया
समाचार-गढ़, श्रीडूंगरगढ़। श्रीडूंगरगढ़ विधायक गिरधारीलाल महिया ने मंगलवार को तारांकित प्रश्न के माध्यम से पुजारियों के विलोपित नामों को पुन: राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने की मांग उठाई और राजस्व मंत्री से पूरक प्रश्न किये। इस पर राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने कहा कि राजस्व विभाग ने 13 दिसम्बर 1991 के परिपत्र को परिभाषित करते हुए ही पुजारियों को मंदिर मूर्ति की भूमि पर संरक्षक के रूप में लाभ देने के संबंध में 28 दिसम्बर 2020 का परिपत्र जारी किया है। इस परिपत्र के माध्यम से पुजारियों को संरक्षक के रूप में मंदिर मूर्ति की भूमि के विकास के लिए बिजली-पानी के कनेक्शन, फसल खराबे की स्थिति में अनुदान सहायता, कृषि विभाग की योजनाओं में अनुदान प्राप्त करने जैसी सुविधाएं प्रदान की गईं है। मंत्री ने स्पष्ट किया कि पुजारियों के विलोपित नामों को पुनः राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने का कोई भी प्रस्ताव वर्तमान में विभाग में विचाराधीन नहीं है।
विधायक गिरधारीलाल के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में राजस्व मंत्री ने अवगत कराया कि मंदिर मूर्ति की जमीन पहले मंदिर मूर्ति के साथ-साथ पुजारियों के नाम दिनांक 13.12.1991 तक राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज थी। उन्होंने अवगत कराया कि राजस्व विभाग के परिपत्र क्रमांक प.2(4)राज-4/90/37 दिनांक 13.12.1991 के क्रम में राजस्व रिकॉर्ड में से पुजारियों के नाम विलोपित कर दिये गये। जिसका उद्देश्य यह था कि मंदिर भूमि का विधि विरूद्ध रूप में रहन या विक्रय न हो सके।
राजस्व मंत्री ने बताया कि राजस्व विभाग ने पुजारियों के विलोपित नामों को पुनः राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने के आदेश नहीं दिये हैं। उन्होंने राजस्व विभाग के दिनांक 13.12.1991 एवं 28.12.2020 के आदेशों की प्रति सदन के पटल पर रखी। इस पर विधायक महिया ने पुजारियों के विलोपित नामों को पुन: राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने की मांग की।