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समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। श्रीडूंगरगढ़ की नगरपालिका मंडल सियासती चौसर का जीता जागता नमूना बन गई है। जहाँ आते-जाते अधिशाषी अधिकारी और कार्मिक सत्ता पक्ष को भी धत्ता बताते हुए ढाई कदम की चाल चलते हुए उच्च न्यायालय को अपनी ढाल बना लेते हैं और एपीओ व ट्रांसफर को भी खुली चुनौती देते दिखाई पड़ रहे है। श्रीडूंगरगढ़ नगरपालिका का सबसे बड़ा पद अधिशासी अधिकारी का दिखाई पड़ रहा है और यह अपने बड़े पद के अलावा और भी कई कहानियां कहते नजर आ रहा है कि इस पद पर आने वाले हर एक ईओ को चौसर के खिलाड़ी अपने हक में लेने की जुगाड़ लगाते दिखाई पड़ते है तो कुछेक खिलाड़ी ईओ अपना ही लाना चाहते हैं। परन्तु इस शह मात की चाल में आमजन बिचारा अपने सर पर हाथ रखकर पालिका को कोसता ही नजर आता है और सुबह से घर से पालिका के लिए निकलता है कि आज तो उसका कुछ काम हो जाएगा परन्तु वहां की उठा पटक में अपना सर झन्ना कर वापिस जेब ढीली करके घर ही लौटना उसका सार बन जाता है।
अब कुछ दिनों पहले जहाँ रामोत्सव की तैयारियों के लिए वर्तमान विधायक ताराचन्द सारस्वत ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी तो पालिका ने भी इसमें पूरा साथ देने का पूरा भरोसा दिया। परन्तु कुछ दिन पहले ही एपीओ हुए कुंदन देथा अपने एपीओ पर हाई कोर्ट से स्टे ले आये और खुला चैलेंज करते हुए पदस्थ भवानीशंकर व्यास की जगह खुद को ईओ के रूप में जॉइनिंग करवा ली। हालांकि वर्तमान विधायक सहित पालिका के पार्षदों, पालिकाध्यक्ष की भी इसमें देथा की जॉइनिंग के पक्ष में मत नहीम था बावजूद इसके देथा पद पर काबिज हो गए और 21जनवरी को स्व हस्ताक्षर के साथ जॉइनिंग का लेटर जारी कर दिया। गौरतलब है कि कुंदन देथा पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और बाद में स्वायत्त शासन विभाग द्वारा इनकी कार्यप्रणाली को देखते हुए एपीओ भी कर दिया गया था और खाली पड़े ईओ के पद पर पूर्व में इस पद पर ईओ के रूप में सेवा दे चुके भवानीशंकर व्यास को कलेक्टर ने एक आदेश जारी करते हुए जॉइनिंग करने के निर्देश दिए थे। ईओ के रूप में भवानीशंकर व्यास ने जॉइन भी कर लिया परन्तु तब तक श्रीडूंगरगढ़ नगरपालिका ईओ की मलाईदार कुर्सी का मोह नहीं छोड़ पाए कुंदन देथा ने हाई कोर्ट का सहारा लेकर वापिस इसी पद और कुर्सी को हथिया लिया।
जो भी हो इस नूरा कुश्ती में आमजन की गर्दन दाएं-बाएं झांकते हुए दर्द करने के साथ टूट रही है और टूट रही है पालिका में आमजन के लंबित कार्यों के निस्तारण होने की उम्मीद।
अब आखिरकार स्वायत्त शासन विभाग ने नूरा कुश्ती पर विराम लगाने की कोशिश करते हुए एक आदेश 22जनवरी को जारी किया है जिसमें एकदम स्पष्ट कहा गया है कि नगरीय निकायों में कार्यरत अधिकारियों और कार्मिकों द्वारा विभाग के विभिन्न आदेशों जैसे स्थानांतरण व निलंबन के विरुद्ध माननीय न्यायालय से स्थगन प्राप्त कर स्वयं के स्तर पर कार्यभार ग्रहण कर लिया जाता है जो कि उचित व नियमानुसार नहीं है। उक्त प्रकिया से विभाग को न्यायालय द्वारा जारी स्थगन आदेश की जानकारी नहीं होती और जिसके कारण सूचना में विसंगति रहती है। इसलिए अधिकारी और कार्मिक स्थगन प्राप्त करके स्वयं के स्तर पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया जाए और सूचना कार्यालय को प्रेषित की जाए वरना अवहेलना होने पर नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
खैर! स्वायत शासन विभाग ने आदेश जारी करके अपने अधिकारियों और कार्मिकों को बांधने का प्रयास तो किया है परन्तु ये नूरा पहलवान इजं आदेशों को कितना मान देते हैं यह अब भविष्य के गर्भ में छिपा है क्योंकि जब तक अनुशासन तोड़ने वाले नूरा पहलवानों पर कोई कार्यवाही नहीं हो जाती तब तक किसी की अक्ल ठिकाने आने वाली नहीं है क्योंकि सबकी भुजाओं में ईगो और थापी का असर दौड़ता है।