समाचार-गढ़, 12 फरवरी 2023, श्रीडूंगरगढ़। सात दिवसीय रामकथा का प्रारंभ रविवार को गौमाता भंडारा की ओर से सनातन शमशान गृह में हुआ। यहां कथा का वाचन करते हुए युवा संत संतोष सागरजी ने मंगलाचरण की कथा करते हुए कहा कि मंगल की कामना ही मंगलाचरण है। तुलसीदास जी अपनी कथा के मंगलाचरण में सर्व प्रथम वाणी की देवी सरस्वती और बुद्धि के देवता गणेश को प्रणाम करते हैं। वाणी तथा विनायक की बहुत सुन्दर व्याख्या करते हुए युवा संत ने कहा कि संसार की अधिकांश समस्याएं वाणी और विवेक की विकृति से जुड़ी हुई हैं। इसलिए बोलने और सुनने का विवेक आ जाए तो जीवन की अधिकतर विसंगतियां ही मिट जाए। उन्होंने आगे कहा कि तुलसी ने राम का चरित, स्वांतः सुखाय गाया है, पर उनका वह स्वांतः सुखाय, सबके सुख का कारण बन गया। संत सदैव परोपकारी होते हैं। तुलसी से बडा कोई विद्वान संत नहीं हुआ, उन्होंने पूरे वेदों का सार अपने मानस में अनूठेपन के साथ पिरोकर भर दिया।
प्रति वर्ष शिवरात्रि पूर्व के सात दिनों में यहां गौमाता की सेवार्थ धार्मिक कथा का आयोजन रखा जाता है। आज की कथा के यजमान गौमाता भंडारा के सेवी बाबूलाल सहदेवड़ा थे। संचालन पत्रकार शिवकुमार तिवाड़ी ने किया। यहां प्रथम दिन ही श्रोताओं की पर्याप्त उपस्थिति रही।




