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श्रीडूंगरगढ़ में पांचवें दिन की रामकथा में सीता स्वयंवर, सभी ने भावना के अनुरूप किये दर्शन

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समाचार-गढ़, श्रीडूंगरगढ़। विगत अनेक वर्षों से गौमात भंडारा गौशाला समिति, गौसेवार्थ शिवरात्रि के अवसर पर सप्त दिवसीय धार्मिक कथा का आयोजन सनातन श्मशान गृह मे करवाती रही है। इस अवसर पर इस बार रामकथा का सुन्दर आयोजन चल रहा है। मानस मर्मज्ञ युवा संत संतोष सागर ने पांचवें दिन की राम- जानकी विवाह की मनोहर कथा सुनाते हुए कहा कि जनक के द्वारा आयोजित सीता स्वयंवर हेतु बनाए विवाह मण्डप में राम के प्रवेश पर सब उपस्थित जनों ने अपनी भावना के अनुरूप भगवान के दर्शन किए। जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। रामजी का चरित्र हमें सहजता और शालीनता की सीख देता है। स्वयंवर में रामजी तनिक भी व्यग्रता और उग्रता का प्रदर्शन नहीं करते हैं। वे सदैव मर्यादा में रहते हैं। रामजी की विशेषता है कि वे गुरुजन का स्मरण किए बिना कोई कार्य नहीं करते हैं।
आज की कथा में उपस्थित जनों ने राम विवाह के उपलक्ष्य में गोदान कर पुण्य का अर्जन किया। आज की कथा में राम जानकी की जीवंत झांकियां सजाई गई। कथा के यजमान पूनमचंद- दीपिका कड़ेल थे।

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