समाचार गढ़, 29 सितम्बर, श्रीडूंगरगढ़। महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या साध्वी संघ प्रभा जी ठाणा 3 के सानिध्य में तेरापंथ भवन मोमासर में प्रज्ञा पुरुष जयाचार्य द्वारा रचित “विघ्न हरण की ढाल ” अनुष्ठान का भव्य आयोजन किया गया कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी विधि प्रभा जी द्वारा अ.भी.रा.शि. को. उदारी हो लय वध मधुर स्वरों में संगान किया गया साध्वी संघ प्रभा जी ने विघ्न हरण की ढाल का रोचक इतिहास प्रस्तुत करते हुए अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा तेरापंथ के महान मंत्र अधिष्ठाता चतुर्थ आचार्य श्री मज्जयाचार्य ने विघ्न हरण ढाल की रचना उस समय की जब सन 1857 में भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों का दाव सफलता की डगर पर था अंग्रेजी हुकूमत की बगावत में काला की फौज ने मारवाड़ स्थित सीरियारी ठिकाने को अपने नोट का निशाना बनाया जयाचार्य को जैसे ही यह संवाद मिला उन्होंने अ.भी.रा.शि. को नमः उस पंच ऋषि स्तवन की 3 पदों में रचना की स्तुति के प्रभाव से काला की फौज ने राजा बदल लिया करीब 177 वर्ष पूर्व रचित इस ढाल का आज भी उतना चमत्कारिक प्रभाव है भयंकर दैनिक उपद्रव उपसर्ग शांत हो जाते हैं इसी क्रम में साध्वी प्रांशु प्रभा ने तन्मय बनकर विघ्न हरण मुनियों का ध्यान लगाऊं मैं मधुर गीतिका प्रस्तुत करते हुए विघ्न हरण की ढाल के जाप को आस्था श्रद्धा विश्वास के साथ दत्त-चित्त होकर किया जाए तो किसी भी बीमारी का आध्यात्मिक इलाज किया जा सकता है आदि संस्मरणों के माध्यम से बताया कार्यक्रम में श्रावक श्राविकाओ की सराहनीय उपस्थिति रही।
मुमुक्षु भीखमचन्द नखत का मंगल भावना कार्यक्रम आयोजित मुमुक्षु दीक्षित होकर गुरु इंगित की आराधना करते रहें: साध्वी कुंथुश्री
समाचारगढ़ 9 अक्टूबर श्रीडूंगरगढ़। श्रीडूंगरगढ़ साध्वी सेवा केंद्र में वयोवृद्ध साध्वियों के दर्शनार्थ पहुंचे मुमुक्षु भीखमचन्द नखत को सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी कुंथुश्री ने मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए कहा…