Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
HomeFrontDharmikवंचित समाज को भगवान की कथा सुनानी चाहिए-- संतोष सागर। सनातन धर्म...

वंचित समाज को भगवान की कथा सुनानी चाहिए– संतोष सागर। सनातन धर्म यात्रा में चतुर्थ दिवस की कथा

Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD

समाचार-गढ़, जयपुर। शनिवार को विद्याधर नगर के सेक्टर 7 में सनातन धर्म यात्रा के 33वें पड़ाव के दौरान भव्य भगवद् गीता महोत्सव में चौथे दिन की भागवत कथा सुनाते हुए युवा संत संतोष सागर ने कहा कि भगवान की कथा एकाग्रता की चाह रखती है। कथा अहंकार और सांसारिकता से विरत होकर सुननी चाहिए।
अजामिल की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि मन जब इन्द्रियों से मिल जाए तो वह अजामिल ही है, अजा नाम इन्द्रियों का है। इस अधुनातन युग में अजामिलों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही हैं। न जाने सुधारने के लिए कितने पाराशर ऋषियों की जरूरत पड़ेगी। आपने कहा कि भगवद् भजन के लिए अभ्यास की भी आवश्यकता रहती है। अभ्यास छूट जाए तो भजन भी छूट जाता है। जिह्वा को रामनाम की आदत लगाएं, यह आदत अंतिम क्षण तक न छुटे।
भक्त प्रह्लाद की कथा कहते हुए उन्होंने कहा कि चार दिन के जीवन में प्रह्लाद जैसा समर्पण हो जाए तो फिर कोई हिरण्यकशिपु आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। कथा में आपने इस बात पर जोर दिया कि इस युग में संस्कारों की पुनर्स्थापना के लिए साधुओं को आगे आ जाना चाहिए। साधु को मखमली गद्दों और ऐसी से क्या काम? भगवद् कथाएं भी अब उन वंचित क्षेत्रों में सुनाई जानी चाहिए, जहां विधर्मी लोग हमारे सनातनी लोगों को प्रलोभनवश धर्म परिवर्तन करवा रहे हैं।
वसुदेव के सम्बन्ध में कहा कि अंतकरण जिसका शुद्ध है, वह वसुदेव है। जिसके जीवन में साधना है, वही देवकी है। ऐसा जिनका जीवन है, वहां श्रीकृष्ण का प्राकट्य क्यों न हो।
बलराम भक्ति के स्वरूप हैं। भक्ति को छुपाकर रखना चाहिए। बलराम जी को छुपाकर रखा गया।
कथा के अनंतर प्रसिद्ध गलता पीठ के अधिष्ठाता अवधेशाचार्य महाराज तथा युवाचार्य राघवेन्द्रानंद पधारे। अवधेशाचार्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि रामानुज संप्रदाय में गीता के 18वें अध्याय के ‘सर्व धर्मान परितज्य, मामेकं शरणं व्रज’ का विशेष महत्व है। भक्त के लिए भगवान की शरणागति से इत्तर कुछ नहीं है। सर्व धर्मान परितज्य का अर्थ है, जीवन के सभी संकल्पों का परित्याग। जीव जब भगवान के आश्रित हो जाता है तो कोई कृपा बाकी थोड़े ही रह जाती हैं।
आज की कथा में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। आज की कथा के यजमान सपत्नीक हरिप्रसाद डांगी थे।

Samachargarh AD
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!
विज्ञापन