Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
HomeFrontDharmikज्योतिचरण से पावन बनी श्रीडूंगरगढ़ की गलियां, शांतिदूत ने दी सदात्मा बनने...

ज्योतिचरण से पावन बनी श्रीडूंगरगढ़ की गलियां, शांतिदूत ने दी सदात्मा बनने की प्रेरणा

Samachargarh AD
Samachargarh AD

समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। कोई व्यक्ति जो किसी का कंठ छेदन करने वाला व गला काटने वाला होता है वह जितना हमारा नुकसान नहीं कर सकता जितना हमारी अपनी दुरात्मा बनी हुई आत्मा करती है। आत्माओं के चार रूपों में बांटा गया है – परमात्मा, महात्मा, सदात्मा व दुरात्मा। जो सिद्ध आत्माएं होती हैं, सब राग द्वेष से मुक्त होती है वह परमात्मा होती है। वह आत्मा की परम स्थिति है। जो साधु–संत आदि त्यागी महापुरुष होते है वह महात्मा होते है। गृहस्थ जो सदाचार से युक्त जीवन जीते है वह सदात्मा एवं जो हिंसा, झूठ, चोरी व हत्या से लिप्त आत्माएं होती है दुरात्मा होती है। उपरोक्त उद्गार युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी ने श्री डूंगरगढ़ के ऊपरलो तेरापंथ भवन की धर्मसभा में व्यक्त किए।

शांतिदूत के त्रिदिवसीय प्रवास से श्री डूंगरगढ़ में मानों अध्यात्म मेला लगा हुआ है। स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ हजारों की संख्या में प्रवासी श्रावक–श्राविकाएं भी अपनी धरा पर अपने आराध्य का पावन आशीष पाने पहुंचे हुए है। कृपानिधान आचार्यश्री ने भी प्रातः भ्रमण के दौरान स्थान–स्थान पधार कर श्रद्धालुओं की प्रार्थनाओं पर पगलिया, मंगलपाठ प्रदान कर अपनी कृपा से सबको कृतार्थ किया। इतने वर्षों पश्चात तेरापंथ अनुशास्ता का सान्निध्य पाकर श्री डूंगरगढ़ का जन–जन अल्हाद की अनुभूति कर रहा है।

प्रवचन सभा में युगप्रधान ने आगे कहा की उपासना, सामायिक, सेवा–दर्शन के साथ–साथ धर्म आचरण में भी उतरे यह आवश्यकता है। आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आन्दोलन का प्रवर्तन किया। अणुव्रत छोटे–छोटे नियमों द्वारा सदाचार, संयम, अहिंसा व नैतिकता से युक्त जीवन जीना सिखाता है। भीतर की भाव हमारे बढ़िया हो, शुद्ध हो। कुएं में जैसा पानी होता है वैसा है बाहर आता है उसी प्रकार हमारे भावों का असर ही व्यवहार पर होता है। उपासना एवं व्यवहार दोनों प्रकार के धर्म का महत्व है। जीवन में सदाचार आए और दुरात्मा को तज कर व्यक्ति सदात्मा बने तो जीवन सफल बन सकता है।

श्री डूंगरगढ़ के संदर्भ में आचार्य श्री ने कहा कि श्री डूंगरगढ़ में तीन दिवसीय अच्छा प्रवास हो गया। यहां के समाज में खूब एकता एवं समरसता बनी रहे। समाज के भवनों का खूब धार्मिक उपयोग बना रहे और आध्यात्मिक गतिविधियां चलती रहे मंगलकामना।

अभिवंदना के क्रम में स्वागताध्यक्ष भीखमचंद पुगलिया, प्रवास समिति मंत्री पन्नालाल पुगलिया, नगरपालिका से अंजू पारख, दौलत डागा, शशि नाहर, तेरापंथ सभा मंत्री पवन सेठिया, संगीता दुगड़, मिताली बोथरा, अजय भंसाली, पूर्णिमा नाहटा, अरिहंत बाफना, नागरिक विकास परिषद से विजराज सेवक, लायंस क्लब से महावीर प्रसाद माली, विक्रम मालू, श्याम महर्षि, सत्यदीप, रितु सुराना आदि वक्ताओं ने स्वागत में भावाभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।
तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मंडल, तेरापंथ किशोर मंडल गीत, रमजान मधुर बैंड, सुनील लुणिया, सरोज देवी दुगड़, मिताली बोथरा आदि ने पृथक–पृथक रूपों में गीत का संगान किया।

इस अवसर पर साध्वीश्री पानकुमारीजी (प्रथम) श्री डूंगरगढ़ की जीवनी – साधना सोपान का भी आचार्य श्री के चरणों में लोकार्पण किया गया।

Samachargarh AD
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!