
समाचार गढ़, 11 जून 2025, श्रीडूंगरगढ़। राजस्थान के समाज निर्माण की नींव रखने वाले, युवाओं को जीवन मूल्यों की शिक्षा देने वाले और मातृभूमि के प्रति समर्पण की प्रेरणा देने वाले पूज्य भगवान सिंह रोलसाहबसर को बीकानेर में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। सिंधी भवन में श्रीक्षत्रिय युवक संघ द्वारा आयोजित इस श्रद्धांजलि सभा में राजपूत समाज के साथ सर्व समाज के लोगों ने भाग लिया और श्रद्धासुमन अर्पित किए।
संघर्षों से समर्पण तक का जीवन
भगवान सिंह रोलसाहबसर का जन्म 2 फरवरी 1944 को सीकर जिले के रोलसाहबसर गांव में हुआ। वे मेघ सिंह और गोम कंवर की पांचवीं संतान थे। उनका विवाह सिवाना के ठाकुर तेज सिंह की पुत्री से हुआ।
बाड़मेर के ग्राम्य आलोकायन आश्रम में रहकर उन्होंने न केवल आत्मानुशासन का उदाहरण प्रस्तुत किया, बल्कि वहां आयोजित प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से समाज के युवाओं को संस्कार, अनुशासन, धैर्य और राष्ट्र सेवा की भावना से ओतप्रोत किया।
श्रद्धांजलि सभा में उमड़ा जनसैलाब
सिंधी भवन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में संघ के संरक्षक भगवान सिंह रोलसाहबसर को श्रद्धा से याद किया गया। सभा में मुख्य वक्ता शेखावाटी संभाग प्रमुख खीवसिंह सुल्ताना ने कहा कि रोलसाहबसर समाज के लिए संजीवनी की तरह थे, जिन्होंने युवा शक्ति को सही मार्ग पर प्रेरित किया। महिला सम्मान और समानता के लिए उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
विशेष अतिथि व वक्ता:
विश्वकर्मा कौशल बोर्ड अध्यक्ष रामगोपाल सुथार
पालिकाध्यक्ष मानमल शर्मा
पालिका प्रतिपक्ष अंजू पारख
पूर्व प्रधान छैलूसिंह शेखावत
समाजसेवी तुलसीराम चौरिड़या
भाजपा नेता विनोद गिरी गुसाई
विश्व हिंदू परिषद जिलाध्यक्ष जगदीश स्वामी
सिंधी पंचायत अध्यक्ष श्रवणकुमार सिंधी
भाजपा शहर मंडल अध्यक्ष राधेश्याम दर्जी
देहात मंडल अध्यक्ष महेन्द्र सिंह तंवर
मोमासर मंडल अध्यक्ष नरेश मोट
उपस्थित गणमान्य:
भंवरलाल दुगड़, धर्माराम कूकना, आशीष जाड़ीवाल, थानमल भाटी, भवानी तावनियां, आनंद जोशी, श्रवण नाई मोमासर, श्याम सारस्वत हेमासर, सोहनलाल ओझा, महेंद्र राजपूत, महेन्द्र सिंह बिग्गा, जेठूसिंह पुंदलसर, केके जांगिड़, संदीप सिंह, नानूराम प्रजापत सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता व जनप्रतिनिधि।
कार्यक्रम संचालन व स्मृति
कार्यक्रम का संचालन बीकानेर प्रांत प्रमुख राजेन्द्र सिंह आलसर ने किया। सभा में वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि भगवान सिंह रोलसाहबसर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। उन्होंने समाज में संस्कारों की जो अलख जगाई, वह युगों तक अमिट रहेगी।

