समाचार गढ़, 21 जुलाई, श्रीडूंगरगढ़। रविवार आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन साध्वी सेवा केंद्र मालू भवन में सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी कुंथुश्री के सान्निध्य में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के तत्त्वावधान में 265वां तेरापंथ स्थापना दिवस मनाया गया। तेरापंथ स्थापना दिवस कार्यक्रम का प्रारंभ साध्वी सम्यक्त्व प्रभा ने मंगलाचरण से किया। शासनश्री साध्वी कुंथुश्री ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि आज गुरु पूर्णिमा का दिन है। गुरु का स्थान भगवान से ऊपर होता है। भारतीय संस्कृति में गुरु को सर्वोपरि माना है। गुरु को सभी संप्रदाय के लोग स्वीकार करते हैं। गुरु स्वार्थी नहीं, परार्थी होते हैं, संयम की मशाल लेकर चलते हैं, जनता का पथ दर्शन करते हैं। आज के दिन तेरापंथ को विलक्षण गुरु मिला था, जिसका नाम था आचार्य भिक्षु। आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन तेरापंथ की स्थापना हुई। अहंकार और ममकार विसर्जन का नाम है तेरापंथ। आचार्य भिक्षु ने त्याग और अहिंसा को धर्म बताया है।
तत्पश्चात साध्वी सुमंगलाश्री ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के मंत्री प्रदीप पुगलिया, महिला मंडल से अंबिका डागा, तेयुप से अध्यक्ष मनीष नौलखा, अणुव्रत समिति से उपाध्यक्ष सत्यनारायण स्वामी ने वक्तव्य दिया तथा महिला मंडल व तेयुप ने गीतिका प्रस्तुत की।
मंत्र दीक्षा देकर जप करने की प्रेरणा दी
श्रीडूंगरगढ़। तेरापंथ युवक परिषद द्वारा मंत्र दीक्षा कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में
सर्वप्रथम ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों द्वारा अर्हम् की वंदना से मंगलाचरण किया गया। तत्पश्चात साध्वी कुंथुश्री ने 9वर्ष के ज्ञानार्थी बच्चों को बहुत ही सहज और सरल भाषा में मंत्र दीक्षा दी और कथानक के माध्यम से नमस्कार महामंत्र का महत्त्व बताते हुए प्रतिदिन 21बार नमस्कार मंत्र का जप करने की प्रेरणा दी। मंत्र दीक्षा पर तेयुप अध्यक्ष मनीष नौलखा ने साध्वी के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में साध्वी जीतयशा ने चातुर्मास प्रारंभ के उपलक्ष में सभी घरों में होने वाले प्रतिदिन जप और उपवास करने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का समापन संघगान से हुआ। कार्यक्रम का संचालन मधु झाबक ने किया।