समाचार-गढ़, 31 मई 2023। श्रीडूंगरगढ़ में साहित्यिक संस्था राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति के तत्वावधान में श्रीडूंगरगढ़ पुस्तकालय में आयोजित पन्द्रह दिवसीय लेखन प्रशिक्षण कार्यशाला के नवम दिवस पत्रकार राजकुमार हीरावत ने नव लेखकों को पत्रकारिता के मायने समझाते हुए कहा कि निर्भीकता, निष्पक्षता और तटस्थता तो पत्रकार के स्वाभाविक गुण होते ही हैं, पर अगर वह संरचनात्मक विवेक से काम नहीं कर रहा है तो वह इधर-उधर घट रही घटनाओं को जनता तक पहुंचानेवाले सामान्य हरकारे की भूमिका में है। सोशल मीडिया भी यही कर रहा है, इधर घटना घटी, उधर जनता तक पहुंची। पत्रकार हीरावत ने कहा कि अब पत्रकारिता को ढर्रे बद्धता छोड़ कर अन्वेषणात्मक सोशियल जर्नलिज्म की ओर जाना चाहिए। सनसनी ओर जुगुप्सा उत्पन्न करनेवाली खबरों की जगह परिमाणात्मक खबरों की ओर चलना जनपरक है। उन्होंने कहा कि कैसी मजेदार बात है कि आपसी झगड़े के आए दिन के समाचारों में दो बातें अवश्य होती है, एक तो गले में से सोने की चैन तोड़ लेना और दूसरे जेब से पैसे निकालना। एफ आई आर में उल्लिखित इस तथ्य के अन्वेषण के बाद एक भी चैन बरामद नहीं होती। मारपीट के मुकदमें में ये दो बातें रुढी बन चुकी है। ऐसे ही न जाने कितने प्रकार के झूठ को हम समाचार के नाम पर परोसते रहते हैं। आज की कस्बाई पत्रकारिता के खबर स्रोत स्थानीय थाने होते हैं। वहां जो दर्ज है, वह खबर है।
प्रशिक्षक डाॅ चेतन स्वामी ने पत्रकारिता के सत्र में कहा कि पत्रकारिता आज के युग की आवश्यकता बन चुकी, इसे कोई नकार नहीं सकता पर वह दिनों दिन बेस्तर होती जा रही है। अखबारों में खोजपरक समाचारों के लिए पर्याप्त स्पेश नहीं रहता। हमने घटनाओं को ही समाचार मान लिया है। प्रति दिन प्रातःकाल में पाठका का साबका मन को भयभीत करने वाले विभिन्न समाचारों से पड़ता है। सूचनापरक पत्रकारिता से समाज को कोई विशेष लाभ नहीं होता।
लेखन प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान नव लेखकों ने काव्य लेखन प्रस्तुत किया। जिसकी समुपस्थित जनों ने सराहना की।
राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने कहा कि इन नव लेखकों में सीखने की ललक है, फल स्वरूप विगत नौ दिनों के थोड़े समय बाद भी इनकी प्रगति भरोसा जगाती है। उपस्थित सभी लेखकों को कोलकाता प्रवासी श्री अमरचंद पुगलिया की ओर से श्रीडूंगरगढ़ का इतिहास ग्रंथ तथा चेतन स्वामी रचित बाई म्हारी चिड़कोली कहानी संग्रह भेंट किया गया। साहित्यकार सत्यदीप, पत्रकार अशोक पारीक तथा सत्यनारायण योगी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
पत्रकार निर्भीक, निष्पक्ष, तटस्थ और संरचनात्मक सोच वाला होना चाहिए- हीरावत
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