
स्मृति सभा का आयोजन, माणकचन्द डागा का जीवन समता से परिपूर्ण-साध्वी कुंथुश्री
समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। स्थानीय मालू में सेवाकेन्द्र व्यवस्थापिका साध्वीश्री कुंथुश्री के सान्निध्य में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा संथारा साधक सुश्रावक माणकचन्द डागा के देवलोक गमन पर स्मृति सभा का आयोजन किया गया। साध्वी कुंथुश्री ने उद्बोधन में कहा कि जैन साधना पद्धति में समाधि मृत्यु का महान प्रयोग है संथारा। मोह-ममता से ऊपर उठकर आत्म समाधि में लीन होने का नाम है संथारा। श्रावक के तीन मनोरथ है जिसमें मनोरथ है-संलेखना संथारा। श्रावक माणकचन्द डागा ने 86 वर्ष की उम्र में दृढ़ मनोबल व आत्मबल से संथारा संथारा स्वीकार कर परिवार, समाज व संघ का गौरव बढ़ाया है। उनके चेहरे पर समता व सौम्यता झलकती थी। पांच दिनों के प्रभावक संथारे में परिवार व समाज की सभी संस्थाओं ने अपने दायित्व को जागरूकता से निभाया। साध्वीश्री ने उनकी आत्मा के आध्यात्मिक विकास की मंगलकामना की।
कार्यक्रम में साध्वी ललित रेखा, साध्वी सम्पतप्रभा, साध्वी सुमंगला, साध्वी सम्यक्त्व प्रभा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। परिवारजनों की ओर से सुषमा संचेती, गरिमा डागा ने अपने भावपूर्ण विचार व्यक्त किए व सामुहिक गीत की प्रस्तुति दी। तेरापंथी सभा मंत्री पवन कुमार सेठिया ने संयोजकीय वक्तव्य में उनके समग्र जीवन का परिचय प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में सभाध्यक्ष विजयराज सेठिया, महिला मण्डल, की मंजू देवी झाबक, तेयुप मंत्री दीपक सेठिया व सुमित बरड़िया ने अपने विचार व्यक्त किए। संचालन सभा मंत्री पवन कुमार सेठिया ने किया।


