दिनांक 12-05-2023 के पंचांग के साथ जाने और भी कई खास बातें आचार्य राजगुरू पंडित रामदेव उपाध्याय के साथ
आज भूलकर भी ना करें यह गलती जानें क्या ?
श्री गणेशाय नम:
तिथि वारं च नक्षत्रं
योगो करणमेव च ।
पंचागं श्रृणुते नित्यं
श्रीगंगा स्नानं फलं लभेत् ।।
शास्त्रों के अनुसार नित्य पंचांग के तिथि, वार, नक्षत्र ,योग ,करण आदि पांच अंगों को सुनने से गंगा स्नान के बराबर फल मिलता है अतः नित्य पंचांग अवश्य सुनना चाहिए।। *आज का पंचांग*
दिनांक- 12/05/2023
श्री डूंगरगढ़
अक्षांश – 28:06
रेखांश – 74:04
पंचांग
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
* ऋतु – ग्रीष्म
* अयन- उत्तरायण
* मास – ज्येष्ठ
* पक्ष- कृष्ण
* तिथि- सप्तमी प्रातः 09:03 बजे उपरांत अष्टमी
* वार- शुक्रवार
* नक्षत्र – श्रवण दोपहर 12:59 बजे उपरांत धनिष्ठा
* योग- 1 शुक्ल- दोपहर 12:13:24 बजे उपरांत ब्रह्म
- करण- * 1 बव-09:03A.M. 2 बालव – 19:55 P.M. उपरांत कौलव
- चंद्र राशि – मकर रात्रि 24:15 बजे उपरांत कुंभ
चंद्र बल – मेष,वृषभ, कर्क, सिंह, कन्या, वृश्चिक, धनु, मकर,मीन
रात्रि 24:15 बजे उपरांत मेष, वृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, धनु, मकर, कुंभ
- चंद्र राशि – मकर रात्रि 24:15 बजे उपरांत कुंभ
सम्वत् नाम- पिंगल
सूर्योदय- 05:53 A.M. सूर्यास्त- 07:07 P.M.
दिनमान- 13:14
रात्रिमान- 10:46 *शुभ समय* अभिजित मुहूर्त मध्याह्न - 12:06 से 12:54 बजे तक
अशुभ समय
यमगण्ड – सायं 3:00 से 4:30 बजे तक राहुकाल- प्रातः 10:30 से 12:00 बजे तक
*(विशेष- राहुकाल चक्र भारत के दक्षिण संभाग में ही मान्य है दक्षिण संभाग के लोगों को शुभ कार्यो में राहु काल के समय का त्याग करना चाहिए किंतु उत्तर भारत में राहुकाल का समय शुभ कार्यों में त्यागने की आवश्यकता नहीं है । ) **
कालवेला या अर्द्धयाम
1.प्रातः 10:50:45 से 12:30 बजे तक 2.रात्रि 09:48:30 से 11:09:15 बजे तक
गुलिक काल – प्रातः 7:30 से 9:00 बजे तक
दिशा शूल – पश्चिम दिशा
चौघड़िया ( दिन)
1.चंचल- प्रातः 05:53 से 07:32:15 तक
2.लाभ-प्रातः 07:32:15 से 09:11:30 तक 3.अमृत-प्रातः09:11:30 से 10:50:45 तक (वार वेला निषेध)
4.काल-प्रातः 10:50:45 से 12:30:00 तक (कालवेला निषेध)
5.शुभ- दोपहर 12:30:00 से 02:09:15 तक
6.रोग-दोपहर 02:09:15 से 03:48:30 तक
7.उद्वेग-सायं 03:48:30 से 05:27:45 तक
8.चंचल-सायं 05:27:45 से 07:07 तक
चौघड़िया ( रात्रि)
1.रोग- रात्रि 07:07 से 08:27:45 तक
2.काल-रात्रि 08:27:45 से 09:48:30 तक
3.लाभ-रात्रि 09:48:30 से 11:09:15 तक (कालवेला निषेध)
4.उद्वेग-रात्रि 11:09:15 से 12:30:00 तक
5.शुभ-रात्रि 12:30:00 से 01:50:45 तक
6.अमृत-रात्रि 01:50:45 से 03:11:30 तक
7.चंचल-रात्रि 03:11:30 से 04:32:15 तक
8.रोग-रात्रि 04:32:15 से 05:53:00 तक
विशेष दिन– कालाष्टमी
हमारे शास्त्रों में नारी को देवी का रूप माना जाता है जहां नारियों का सम्मान होता है वहां देवताओं का निवास होता है। अतः व्यक्तिको सदैव नारियों का सम्मान करना चाहिए वैसे तो इसी कन्या या नारी का कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए किंतु शुक्रवार को तो भूलकर भी किसी कन्या मातृशक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए। क्योंकि शुक्रवार को इसी कन्या या मातृशक्ति का अपमान करने से करने से मां लक्ष्मी आप से रुष्ट हो सकती है एवं घर में दरिद्रता आ सकती हैं।
राजगुरु पंडित रामदेव उपाध्याय ( शास्त्री-आचार्य ,ज्योतिष विद्, बी.ए.)
भू.पू. सहायक आचार्य
श्री ऋषिकुल संस्कृत विद्यालय
श्री डूंगरगढ़
M.N. 9829660721