समाचार-गढ़, 27 मई 2024।श्रीडूंगरगढ़ के श्रीडूंगरगढ़ पुस्तकालय सभागार में लेखन प्रशिक्षण कार्यशाला के आज पांच दिन पूरे हुए। हिन्दी राजस्थानी के साहित्यकार सत्यदीप ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति के साथ नव लेखकों को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि लेखन सुदीर्घ तपस्या जैसा कर्म है। पर इसके परिणाम हमेशा सुखद रहते हैं। हमेशा ही एक लेखक को अपने को संवारते, मांजते रहना चाहिए। हर परिष्कार लेखक को ऊर्जा से भर देता है। एक लेखक का जन्म मतलब एक संवेदनशील समाजदेष्टा का जन्म होता है।
आज उपस्थित नव लेखक राजस्थानी भाषा में गीत लिखकर लाए। उनके लिखे गीतों में ताजगी रही तथा बहुत सराहे गए।
कार्यशाला संयोजक डाॅ चेतन स्वामी ने विद्यार्थियों को कहा कि उनके चिंतन में हमेशा पारदर्शिता और लेखन में विश्वसनीयता रहे, इस प्रयास को सदैव बनाए रखना है। एक लेखक को अपने देशकाल और परिप्रेक्ष्य का सदैव ध्यान रखना चाहिए। लेखक को ऐसी रचनाएं कभी नहीं लिखनी चाहिए जो समाज को कुमार्ग की ओर प्रवृत्त करदे। उसके लिखे एक एक शब्द की जिम्मेदारी अनेक पीढियों तक रहती है।
उन्होंने कुछ सावधानियों की ओर ध्यान इंगित करते हुए कहा कि बहुत जरूरी है कि एक लेखक की हस्तलिपि सुन्दर हो, वह त्रुटिरहित लेखन करे, उसके वाक्यांश आकर्षित करने वाले हों तथा उसकी बात भले ही बौद्धिकता से लदीफदी न हो पर प्रभावित करने वाली हो।
समुपस्थित विद्यार्थियों ने आज कुछ अपनी जिज्ञासाएं भी रखीं, जिनका समुचित समाधान प्रस्तुत किया गया। युवाओं की समकालीन चुनौतियां विषय पर उन्हें निबंध लिखकर लाने को कहा गया।
लेखन दीर्घ तपस्या जैसा श्रम-साध्य कार्य– सत्यदीप
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