समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। राष्ट्रीय राज मार्ग पर स्थित राष्ट्र भाषा हिंदी प्रचार समिति प्रांगण में मंगलवार को सद्भावना एवं पर्यावरण चेतना जागृत करने के उद्देश्य को लेकर युवाओं का जत्था बीकानेर से रवाना होकर पहुंचा।
यहां कस्बे वासियों ने जत्थे में शामिल युवाओं का स्वागत किया। यहां पर्यावरण सद्भावना एवं राष्ट्रीय एकता के विषयों आयोजित संगोष्ठी में हुई परिचर्चा में बोलते हुए साहित्यकार डॉ.चेतन स्वामी ने कहा कि मनुष्य की सोच सदैव अपनी अगली पीढ़ी के लिए संग्रह करने की रही है। यह संचय करने की मानशिकता ही हर समस्या की मूल जड़ है। सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद् अशोक माथुर ने कहा कि आज के समय में पर्यावरण संरक्षण व सद्भावना को बनाए रखना एक चुनौती भरा काम है। इस चुनौती का सामना करने के लिए युवा शक्ति का आवाहन किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को एक दूसरे का साथ देना चाहिए।साहित्यकार श्याम महर्षि कहा कि किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए समिर्पत भाव होने जरूरी है। पर्यावरण का बढ़ता खतरा सरकारों द्वारा रोकना बड़ा ही कठिन कार्य हो गया है, इसमें हर व्यक्ति की सोच पर्यावरण के प्रति रहेगी तभी इसका संरक्षण सम्भव बन पाएगा। इसके लिए नई पीढ़ी को आगे आना होगा। सामाजिक कार्यकर्ता अंकिता माथुर ने कहा कि अपने लाभ के लिए मानव धरती का अंधाधुंध दोहन कर रहा है। हमे पर्यावरण सरंक्षण के साथ ही सम्प्रदायक सद्भावना को बनाए रखना जरूरी है। साहित्यकार सत्यदीप ने कहा कि सुख सुविधा के चक्कर में इंसान पहाड़, पेड़ एवं प्रकृति की बनावट को खत्म करता जा रहा, जो आने वाले समय में बहुत ही कष्टदायी साबित होगा। बजरंग शर्मा ने स्वागत उद्बोधन देते हुए सद्भावना एवं पर्यावरण चेतना जागृत करने के लिए निकली साइकिल यात्रा में शामिल युवाओं को साधुवाद दिया। इस दौरान रामचंद्र राठी, महावीर माली, ओमप्रकाश गुरावा, तुलसीराम चौरड़िया, गोपीकिशन नाई, महेश जोशी, विजय महर्षि, महावीर सारस्वत, नारायण सारस्वत, सांवरमल रेगर आदि मौजूद रहे। इससे पूर्व श्रीडूंगरगढ़ महाविद्यालय खेल मैदान के चारों तरफ दो दर्जन से अधिक छायादार पौधों का रोपण कर सार सम्भाल की जिम्मेदारी ली गई।
श्रीडूंगरगढ़। पर्यावरण संरक्षण की चुनौती में युवा निभाए भागेदारी
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