समाचार गढ़, 6 जुलाई, श्रीडूंगरगढ़। बरसात का मौसम आते ही हमें गर्मी से तो राहत मिलती है, लेकिन साथ ही कई तरह के इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। पानी जमा होने से और जगह-जगह गंदगी फैलने से कीटाणु और बैक्टीरिया को पनपने का मौका मिलता है, जिससे हम कई बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि बारिश के मौसम में कौन-कौन सी बीमारियां आपको परेशान कर सकती हैं और इनके लक्षण क्या हैं।
बरसात में सबसे आम बीमारी है गैस्ट्रोएन्टेरिटिस। यह बीमारी दूषित खाने या पानी से फैलती है। इसके लक्षणों में दस्त, पेट में दर्द, जी मिचलाना और उल्टी शामिल हैं। अचानक दस्त शुरू होना, अक्सर पानी जैसा और बुखार के साथ आना, आंत के संक्रमण का साफ संकेत है। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह बीमारी शरीर में पानी की कमी, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और गंभीर मामलों में किडनी फेल होने का कारण बन सकती है।
डेंगू
नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (NVBDCP) के अनुसार, भारत में 2021 में डेंगू के 1 लाख से ज़्यादा मामले सामने आए थे। भारत में मानसून के दौरान डेंगू के मामले बढ़ जाते हैं, इसके लक्षणों में तेज बुखार, सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और त्वचा पर चकत्ते शामिल हैं। डेंगू गंभीर मामलों में डेंगू रक्तस्रावी बुखार (डीएचएफ) में बदल सकता है, जिससे गंभीर ब्लाडिंग, अंग की कमजोरी और संभावित रूप से मृत्यु हो सकती है, खासकर बच्चों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में।
मलेरिया
भारत के कई हिस्सों में मलेरिया एक आम बीमारी है, खासकर बरसात के मौसम में। बारिश के पानी में मच्छर पनपते हैं, जो मलेरिया फैलाते हैं। जैसे ही बारिश का मौसम शुरू होता है, मलेरिया के मामले बढ़ जाते हैं, इसके लक्षणों में बार-बार तेज बुखार, ठंड लगना, पसीना आना, सिरदर्द, जी मिचलाना और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं। अचानक बुखार का बढ़ना और फ्लू जैसे लक्षण, अक्सर कंपकंपी के साथ ठंड लगना, मलेरिया संक्रमण का संकेत है। अगर मलेरिया का इलाज न किया जाए तो यह गंभीर एनीमिया, सांस लेने में तकलीफ, ऑर्गन फेल और गंभीर मामलों में सेरेब्रल मलेरिया का कारण बन सकता है, जिससे कोमा या मृत्यु हो सकती है।
हैजा
मानसून के दौरान खराब सफाई और दूषित पीने के पानी के कारण भारत के कई हिस्सों में हैजा फैलता है। हैजा के कारण अचानक पानी जैसा दस्त, उल्टी और गंभीर डिहाइड्रेशन हो जाता है। धंसी हुई आंखें, मुंह सूखना और पेशाब का कम आना हैजा के चेतावनी संकेत हैं। मुश्किलें तेज़ी से बढ़ सकती हैं, जिससे शॉक, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और गंभीर मामलों में अगर इलाज न किया जाए तो घंटों के भीतर मौत हो सकती है।
अन्य
टाइफाइड: लंबे समय तक तेज बुखार, सिरदर्द, पेट दर्द और कमजोरी शामिल हैं।इन्फ्लुएंजा: ठंड लगना, नाक बंद होना और सिरदर्द शामिल हैं।लेप्टोस्पायरोसिस: ठंड लगना, उल्टी और कंजंक्टिवल सफ़्यूजन (आंखें लाल होना)।फंगल इंफेक्शन: खुजली, लालिमा, स्केलिंग और त्वचा की सिलवटों में और पैर की उंगलियों के बीच असुविधा।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।