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HomeFrontDharmikकथाओं का उद्देश्य कथ्य के तथ्य को पकड़ने का होना चाहिए--संतोष सागर

कथाओं का उद्देश्य कथ्य के तथ्य को पकड़ने का होना चाहिए–संतोष सागर

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सप्त दिवसीय श्रीमदभागवत कथा का द्वितीय दिवस

समाचार गढ़। हरिद्वार स्थित परमार्थ आश्रम में आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमदभागवत कथा में दूसरे दिन की कथा सुनाते हुए राष्ट्रीय युवा संत संतोष सागर ने कहा कि- कथा प्रवचनों का एकमेव उद्देश्य जन चेतना एवं संस्कार जागरण का रहना चाहिए। कथाएं तो हमने बहुत सुनी है, पर कोई शब्द हमें आंदोलित नहीं करता तो उसकी व्यर्थता का बोध होता है।
आप ने हरिद्वार तीर्थ का आध्यात्मिक महत्व समझाते हुए कहा कि यहां कि धरा और धारा दोनों दिव्य है। यह हमें चिन्मय बोध देती है। यहां आकर ऐसी प्रेरणा बननी चाहिए, जिससे हमारा अंतर-आभ्यंतर कलुषा रहित हो जाए। यहां आए हुए ज्ञान पिपासुओं को अतिरिक्त सावधानी की जरूरत है, क्योंकि अन्य क्षेत्र के पापों को यहां त्राण मिलता है, पर यहां किए पाप वज्र के समान हो जाते हैं। आपने विस्तार से समझाया कि गंगा और ज्ञान गंगा, दोनों में समानता है। श्रीमदभागवत भगवान के मुख से निसृत है, जबकि गंगा, भगवान के चरणों से। हैं, दोनों ही नारायणी। इस अवसर पर महाराज ने कहा कि हमें अपने आर्ष ग्रंथों की संक्षिप्त जानकारी अवश्य होनी चाहिए। हमें वेद वेदांग, उपनिषद्, स्मृति, पुराणों की संक्षिप्त बातें पता होनी चाहिए, वरना हम कैसे सनातनी हैं? आपने इस बात पर भी बल प्रदान किया कि अध्यात्म का मार्ग शूरवीरों का मार्ग है, यहां तो उत्कंठा, लालसा और पिपासा रखकर ही आगे बढ़ा जा सकता है।
आज की कथा के यजमान अलवर के प्रसिद्ध उद्योगपति श्री किशन गुप्ता एवं उनकी धर्म पत्नी थे। कथा के उपरांत कल के यजमान मुन्नासिंह तथा श्री किशन गुप्ता का दुपट्टा ओढाकर, गीता भेंटकर सम्मान किया गया।
कथा के उपरांत उपस्थित साधकों को सम्बोधित करते हुए साहित्यकार डाॅ चेतन स्वामी ने कहा कि जीवन में बहुत थोड़ी सी बातें पकड़ कर हम अपना कल्याण कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि धन कमाना कोई बुरा कर्म नहीं है। उसे सौ हाथों से कमाइए, पर अपने कमाए धन को जन हित में हजार हाथों से खर्च करने का विवेक भी अपने भीतर जगाएं।
प्रातः पितृ तर्पण का अनुष्ठान परमार्थ घाट पर सामूहिक रूप से किया गया। संचालन पत्रकार शिवकुमार तिवाड़ी ने किया ।

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